न्याय की गूंज: Nandita Saikia को मिला इंसाफ, दोषी को फांसी की सज़ा

चार साल के अथक संघर्ष के बाद, Nandita Saikia हत्याकांड में आखिरकार न्याय की जीत हुई। 21 अगस्त 2025 को, असम के धेमाजी जिला एवं सत्र न्यायालय ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए अपराधी रितु शर्मा को फांसी की सजा सुनाई। 2021 में राज्य को झकझोर देने वाली इस क्रूर घटना का आखिरकार अंत हो गया है, जिससे यह उन दुर्लभ मामलों में से एक बन गया है जहाँ वर्षों की अटूट लड़ाई और दृढ़ता के बाद न्याय की जीत हुई।
चार साल की लड़ाई — न्याय की जीत
चार साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार Nandita Saikia हत्याकांड में न्याय मिला। 21 अगस्त 2025 को असम के धेमाजी जिला एवं सत्र न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाते हुए दोषी ऋतु शर्मा को फाँसी की सज़ा सुनाई।
यह मामला 21 अगस्त 2021 को दर्ज हुआ था, जब मोरिधल कॉलेज की छात्रा नंदिता सैकिया पर दिनदहाड़े उसी कॉलेज के एक कर्मचारी ने धारदार हथियार से हमला कर दिया था। इस जघन्य अपराध ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया था। चार वर्षों में पुलिस ने करीब 400 आवेदन जमा किए और 41 गवाहों को अदालत में पेश किया, जिसके आधार पर अंतिम फैसला सुनाया गया।
अदालत ने इसे “रेयरेस्ट ऑफ द रेयर” केस घोषित किया। फैसले के बाद नंदिता के पिता ने भावुक होकर कहा – “हमने चार साल इंतज़ार किया; आज हमें न्याय मिला। यह न्याय समाज के लिए एक चेतावनी है।”
Nandita Saikia – एक बेटी की कहानी
Nandita Saikia, असम के धेमाजी स्थित मोरीधल कॉलेज की प्रतिभाशाली छात्राओं में से एक थीं, जिनकी 21 अगस्त 2021 को दुखद मृत्यु हो गई। कॉलेज की ही एक साथी छात्रा रितु शर्मा ने उन पर दिनदहाड़े बेरहमी से हमला किया, क्योंकि उन्होंने शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया था। घटना के दौरान उनकी सहपाठी कैस्मिना दत्ता और कैस्मिना के पिता, जबर्दस्त, मौजूद थे। नंदनी को तुरंत डिब्रूगढ़ के ब्रह्मपुत्र नर्सिंग होम ले जाया गया, जहाँ 25 अगस्त 2021 को उनकी मृत्यु हो गई। धारा 397 के तहत मामला दर्ज किया गया था और चार साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, 21 अगस्त 2025 को धेमाजी जिला सत्र न्यायालय ने अपना फैसला सुनाते हुए रितु शर्मा को फांसी की सजा सुनाई।
न्याय की गूंज — जनता की आवाज़
Nandita Saikia की नृशंस हत्या के बाद, हैशटैग #JusticeforNandita ने सोशल मीडिया पर ज़ोरदार हलचल मचा दी। ट्विटर (अब X), फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर इस हैशटैग का इस्तेमाल करते हुए लगभग 12 लाख पोस्ट किए गए। वायरल वीडियो और तस्वीरों के प्रसार ने व्यापक आक्रोश पैदा कर दिया, कई यूज़र्स ने नंदिता को “असम की निर्भया” बताया और अपराधी के लिए कड़ी सज़ा की माँग की।
इस आंदोलन को छात्र संगठनों जैसे आसू (AASU), नॉर्थ ईस्ट वीमेन कलेक्टिव और धेमाजी लॉयर्स एसोसिएशन ने और भी मजबूत बनाया। इस मामले को लेकर News18, Indian Express और Pratidin Times सहित कई मीडिया चैनलों ने लगातार कवरेज दी। बढ़ते जनदबाव को देखते हुए असम सरकार और मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सार्वजनिक मंच पर तुरंत न्याय दिलाने का आश्वासन दिया। वहीं, असम पुलिस ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और सिर्फ 36 दिनों के भीतर 400 से अधिक रिपोर्ट जमा कर दीं, जिससे न्याय की प्रक्रिया तेज़ हुई।
Nandita Saikia की याद में — एक श्रद्धांजलि लेख
Nandita Saikia मोरीधल कॉलेज, धेमाजी (असम) की प्रतिभाशाली छात्राओं में से एक थीं और बी.ए. की पढ़ाई कर रही थीं। उनके परिवार का सपना था कि वह आगे चलकर IPS अधिकारी बनें और वह UPSE की तैयारी शुरू करने वाली थीं। नंदिता एक ऐसी लड़की थीं जिनके पास कई सपने और उम्मीदें थीं, लेकिन दुर्भाग्यवश एकतरफा प्रेम के कारण वह एक जघन्य अपराध की शिकार बन गईं। उनकी असमय मृत्यु ने समाज में महिला सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता पैदा की। लंबे चार वर्षों की कड़ी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार उन्हें न्याय मिला।
लेकिन यह केवल एक लड़की को न्याय मिलने का मामला नहीं है, बल्कि आने वाले समय में हर प्रतिभाशाली लड़की के भविष्य की सुरक्षा का सवाल है। नंदिता का मामला समाज के लिए एक चेतावनी है कि ऐसी घटनाओं को दोबारा कभी होने का मौका नहीं मिलना चाहिए। हमारा सामूहिक कर्तव्य है कि हम नंदिता जैसी बेटियों की रक्षा करें, उन्हें सुरक्षा दें और ऐसा माहौल बनाएं जहाँ वे अपने सपनों को निडर होकर पूरा कर सकें।
फांसी की सज़ा और उसका प्रभाव
Rintu Saika, the convict in the tragic Nandita Sharma case, has been produced before the District and Sessions Court of Dhemaji on Thursday, where the court is set to pronounce his sentence.
Saikia, a Class IV employee of Moridhal College, was earlier arrested and convicted for… pic.twitter.com/EUDeLhEiys
— The Sentinel (@Sentinel_Assam) August 21, 2025
21 अगस्त 2025 को धेमाजी सेशन कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए दोषी ऋतु शर्मा को फाँसी की सज़ा दी और इस मामले को “रेरेस्ट ऑफ द रेयर” करार दिया। यह फैसला न केवल पीड़िता के परिवार के लिए न्याय और संतोष लेकर आया, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी साबित हुआ। यह समाज के लिए एक कड़ा संदेश है कि किसी भी सार्वजनिक या निजी स्थान पर महिलाओं के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ या हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी और ऐसे जघन्य अपराधों के लिए सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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