Jolly LLB 3 Review – कोर्टरूम ड्रामा और कॉमेडी का नया संगम

भारतीय सिनेमा में कोर्टरूम ड्रामा और व्यंग्य का अनोखा संगम पेश करने वाली Jolly LLB 3 Review हमेशा दर्शकों की पसंद रही है। ये फिल्म 19 सितंबर को रिलीज हुई. फिल्म में अक्षय कुमार और अरशद वारसी के बीच घमासान देखने को मिला. फिल्म को सुभाष कपूर ने डायरेक्ट किया है. पहले पार्ट में अरशद वारसी और दूसरे पार्ट में अक्षय कुमार ने अपने-अपने अंदाज़ से वकील जॉली को लोगों के दिलों में बसाया। अब Jolly LLB 3 में दोनों कलाकार आमने-सामने नज़र आते हैं, और यही इस फिल्म को और भी खास बना देता है।
Jolly LLB 3 कहानी की झलक

फिल्म की कहानी एक सामाजिक और संवेदनशील मुद्दे पर आधारित है, जो भारतीय न्याय व्यवस्था और सिस्टम की खामियों को उजागर करती है। इस बार जॉली (अक्षय कुमार) और जगदीश त्यागी उर्फ़ ओरिजिनल जॉली (अरशद वारसी) कोर्टरूम में आमने-सामने होते हैं। दोनों की कानूनी लड़ाई न सिर्फ हास्य पैदा करती है बल्कि गंभीर सवाल भी खड़े करती है – क्या आम आदमी को न्याय मिल पाता है या फिर कानून केवल अमीर और ताकतवर के पक्ष में झुक जाता है?
Jolly LLB 3 अभिनय और किरदार

फिल्म की सबसे बड़ी ताकत इसका स्टारकास्ट है।
अक्षय कुमार ने अपने करिश्माई अंदाज़ और गहन अभिनय से जॉली के किरदार को नई परतें दी हैं। उनकी कॉमिक टाइमिंग और कोर्टरूम ड्रामा दोनों में संतुलन देखने को मिलता है।अरशद वारसी की वापसी इस फिल्म को और भी मज़ेदार बना देती है। उनकी सहज अदाकारी और व्यंग्य से भरे संवाद फिल्म की जान हैं। सपोर्टिंग कास्ट में सौरभ शुक्ला (जज) हमेशा की तरह दमदार हैं। उनकी मौजूदगी हर सीन को जीवंत बनाती है।
Jolly LLB 3 निर्देशन और पटकथा
निर्देशक सुभाष कपूर ने इस सीरीज़ की पहचान कायम रखते हुए तीसरे पार्ट में भी हास्य और यथार्थ का संतुलन बनाए रखा है। कोर्टरूम सीन्स को रोचक और धारदार बनाने के लिए लेखन पर काफी मेहनत की गई है। पटकथा में सामाजिक व्यंग्य और भावनात्मक जुड़ाव दोनों ही पहलू मौजूद हैं।
हास्य और भावनात्मक संतुलन
फिल्म में जहां एक ओर दर्शक हंसी से लोटपोट होते हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ सीन सोचने पर मजबूर कर देते हैं। कानून की पेचीदगियों और आम आदमी की कठिनाइयों को हल्के-फुल्के अंदाज़ में पेश किया गया है। यही वजह है कि फिल्म न तो भारी-भरकम लगती है और न ही बोरिंग।
संगीत और तकनीकी पहलू
हालांकि इस सीरीज़ का संगीत कभी बड़ा आकर्षण नहीं रहा, लेकिन इस बार बैकग्राउंड स्कोर फिल्म की गंभीरता और हल्के-फुल्के पलों को सही संतुलन देता है। सिनेमैटोग्राफी कोर्टरूम और शहर के दृश्य को वास्तविक बनाती है, जबकि एडिटिंग फिल्म की गति बनाए रखती है।
Jolly LLB 3 फिल्म की खूबियाँ

अक्षय और अरशद की टक्कर दर्शकों को खूब पसंद आएगी। सौरभ शुक्ला की अदाकारी फिल्म को ऊंचाई देती है। कोर्टरूम ड्रामा को व्यंग्य और कॉमेडी के साथ जोड़ने का तरीका शानदार है। फिल्म एक मजबूत सामाजिक संदेश देती है कि न्याय प्रणाली को आम आदमी के लिए आसान और निष्पक्ष होना चाहिए।
Jolly LLB 3 फिल्म की कमज़ोरियाँ
फिल्म के कुछ हिस्सों में कहानी खिंचती हुई लगती है। कुछ दर्शकों को लगेगा कि दूसरे पार्ट जितना गहरा प्रभाव तीसरा पार्ट नहीं छोड़ता। कोर्टरूम से बाहर के सीन थोड़े कमजोर हैं और गति धीमी कर देते हैं।
दर्शकों और समीक्षकों की प्रतिक्रिया
फिल्म को दर्शकों से अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। खासकर अक्षय और अरशद की ऑन-स्क्रीन जुगलबंदी को खूब सराहा जा रहा है। समीक्षक मानते हैं कि यह फिल्म मनोरंजन के साथ-साथ समाज को आईना दिखाने का काम करती है।
Jolly LLB 3 हंसी, भावनाओं और सामाजिक संदेश का सही मिश्रण है। यह फिल्म उन सभी दर्शकों के लिए है जिन्हें कोर्टरूम ड्रामा, व्यंग्य और कॉमेडी पसंद है। हालांकि इसमें कुछ कमजोरियां हैं, फिर भी यह दर्शकों को निराश नहीं करती।
अगर आपने पहले दोनों पार्ट्स पसंद किए हैं, तो तीसरा पार्ट जरूर देखने लायक है।
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