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दिशोम गुरु सिबू सोरेंग – झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री का 81 वर्ष की आयु में निधन।

दिशोम गुरु, सिबू सोरेंग - झारखंड के मुख्यमंत्री का 81 वर्ष की आयु में निधन

दिशोम गुरु के नाम से मशहूर सिबू सोरेंग का आज 4 अगस्त, सोमवार की सुबह दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में 81 साल की उम्र में निधन हो गया। पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक दिशोम गुरु सिबू सोरेंग पिछले एक महीने से किडनी संबंधी बीमारी से पीड़ित थे। उन्हें जुलाई के अंत में एयरलिफ्ट करके रांची से दिल्ली लाया गया था। वर्तमान मुख्यमंत्री और सिबू सोरेंग के बेटे हिमन्त सोरेंग ने ये बात सोशल मीडिया के ज़रिए पिता के निधन की पुष्टि की है।

दिशोम गुरु सिबू सोरेंग राजनीति के क्षेत्र में आदिवासियों के नेता के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने लंबे समय तक झारखंडी आदिवासियों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। उनका निधन न केवल राजनीतिक साम्राज्य का नुकसान है, बल्कि झारखंड की संस्कृति और समाज के लिए भी एक बड़ी क्षति है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के कई नेताओं ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और दिशोम गुरु सिबू सोरेंग के निधन पर शोक व्यक्त किया। प्रधानमंत्री स्वयं श्रद्धांजलि दिया और शोक व्यक्त करते हुए कहा कि यह राजनीति के क्षेत्र में बड़ी क्षति है।

 

सिबू सोरेंग का प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि।

सिबू सोरेंग का जन्म

दिशोम गुरु के नाम से प्रसिद्ध सिबू सोरेंग का जन्म 11 जनवरी 1944 को रामगढ़ के निमरा गाँव में हुआ था, जो उस समय बिहार का हिस्सा था।

जनजाति

वे संताल समुदाय से थे।

सोरेंग का मोड़

उनके पिता सोबरन सोरेंग, एक शिक्षक और मानवाधिकार कार्यकर्ता थे, जो अपने लोगों के अधिकारों के लिए लड़ते थे। 1957 में साहूकारों ने उनकी हत्या कर दी थी। इस त्रासदी ने उन्हें प्रेरित किया और यह सिबू सोरेंग के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, जिन्होंने शोषण के खिलाफ अपने पिता की लड़ाई का अनुसरण किया।

सक्रियता के रूप में सिबू सोरेंग:

व्यवस्था से लड़ने के लिए, सिबू सोरेंग ने 18 वर्ष की आयु में संथाल नवयुवक संघ की स्थापना की ताकि आदिवासी युवाओं को संगठित किया जा सके ताकि वे कब्ज़ा की गई आदिवासी भूमि को पुनः प्राप्त कर सकें।

दिशोम गुरु सिबू सोरेंग का राजनीतिक सफर

आदिवासी अधिकारों के लिए संघर्ष

दिशोम गुरु सिबू सोरेंग ने 1970 के दशक में आदिवासी भूमि अधिकारों के लिए आंदोलन शुरू किया। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना की और बिहार से अलग झारखंड राज्य की मांग को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया। वर्ष 2000 में, 15 नवंबर को झारखंड बिहार से अलग होकर राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ। 15 नवंबर को हर साल झारखंड स्थापना दिवस मनाया जाता है। इस दिन को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के रूप में मनाया जाता है।

संसदीय कर्रिएर

लोकसभा सांसद: सिबू सोरेंग लोकसभा सांसद (दुमका) थे, जो 1980-2019 के बीच 8 बार सांसद चुने गए।
राज्यसभा सांसद: वे 2020-2025 तक राज्यसभा सांसद रहे।

झारखंड के मुख्यमंत्री

कार्यकाल

हालांकि कार्यकाल बहुत छोटा लगता है, लेकिन उनके कार्यकाल ने झारखंड की राजनीतिक पहचान को आकार देने में मदद की है।

केंद्रीय कोयला मंत्री

दिशोम गुरु सिबू सोरेंग ने 2004 से 2006 तक केंद्रीय कोयला मंत्री के रूप में देश का सेवा किया।

निधन के बाद की कार्रवाई और श्रद्धांजलि

राजकीय शोक की घोषणा

झारखंड सरकार ने दिशोम गुरु, सिबू सोरेंग के सम्मान में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है।

राष्ट्रीय नेताओं की श्रद्धांजलि

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, और अन्य नेताओं ने दिशोम गुरु, सिबू सोरेंग को श्रद्धांजलि दी और उनके योगदान को सराहा।

सिबू सोरेन का जीवन संघर्ष, सेवा और समर्पण की मिसाल है। उनके निधन से झारखंड को बड़ा नुकसान हुआ है। सरकार ने उनके सम्मान में कई कदम उठाए हैं, जैसे राजकीय शोक और स्मृति सभा।

अस्वीकरण: यह लेख इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर लिखा गया है। इसमें त्रुटियाँ हो सकती हैं। इस लेख का उद्देश्य जानकारी प्रदान करना है न कि किसी की भावना को ठेस पहुँचाना।

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