ब्रिटिश सिख मैराथन धावक फौजा सिंह का निधन: 114 साल की उम्र में सड़क दुर्घटना में गई जान

ब्रिटिश सिख धावक फौजा सिंह का निधन
14 वर्षीय ब्रिटिश सिख मैराथन धावक फौजा सिंह का निधन हो गया। यह दुखद घटना 14 जुलाई 2025 की सुबह उस समय हुई जब वह पंजाब के जालंधर के पास अपने पैतृक गांव में सड़क पार कर रहे थे।
इसी बीच, एक तेज़ रफ़्तार गाड़ी ने उन्हें टक्कर मार दी। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन सिर में गंभीर चोटों के कारण कुछ घंटों बाद उनकी मौत हो गई।
फौजा सिंह, जिन्हें दुनिया का सबसे बुजुर्ग मैराथन धावक माना जाता था, दौड़ने और फिटनेस के प्रति अपने अद्भुत जुनून के कारण कई युवाओं के लिए वे एक आदर्श  दुनिया भर में प्रेरणा के स्रोत थे।
शहर में सिख समुदाय के सदस्य, उनके लंदन स्थित रनिंग क्लब और चैरिटी ने इस दिग्गज के निधन की पुष्टि की है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की श्रद्धांजलि

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के सबसे बुजुर्ग ब्रिटिश मैराथन धावक फौजा सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “फौजा सिंह जी का दौड़ और फिटनेस के प्रति असाधारण जुनून हम सभी के लिए प्रेरणादायक था। उन्होंने यह साबित कर दिया कि उम्र केवल एक संख्या है।”
प्रधानमंत्री ने यह भी याद किया कि फौजा सिंह को लोग प्यार से “टर्बन्ड टॉरपीडो” कहते थे — एक ऐसा उपनाम जो उनकी ऊर्जा और जोश को दर्शाता है।
उनका मानना था कि 100 साल की उम्र में मैराथन पूरी करने वाले फौजा सिंह जैसे व्यक्ति लाखों युवाओं के लिए एक जीवंत प्रेरणा थे।

कौन थे फौजा सिंह?

ब्रिटिश सिख धावक फौजा सिंह का निधन खेल जगत के लिए एक गहरी क्षति है। उनका जन्म 1 अप्रैल 1911 को पंजाब के जालंधर जिले के बींस पिंड गांव में हुआ था, जब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था। वे चार बच्चों में सबसे छोटे थे। बचपन में उनके पैर बहुत कमजोर थे और वे पांच साल की उम्र तक चल भी नहीं पाए। इस कारण उन्हें उनके साथी ‘डंडा’ कहकर चिढ़ाते थे।

हालाँकि, जैसे-जैसे वे बड़े हुए, उन्होंने दौड़ में रुचि ली और एक शानदार धावक बने। लेकिन विभाजन के समय उन्हें यह शौक छोड़ना पड़ा। 1992 में पत्नी और बेटी के निधन के बाद उन्होंने दौड़ की ओर दोबारा रुख किया।

वे 1990 के दशक में इंग्लैंड के इलफोर्ड चले गए और 89 साल की उम्र में फिर से दौड़ना शुरू किया। 2000 में उन्होंने लंदन मैराथन में हिस्सा लिया और 93 साल की उम्र में 6 घंटे 54 मिनट में मैराथन पूरी की — जो उस आयु वर्ग के लिए रिकॉर्ड से भी बेहतर था।

100 साल की उम्र में उन्होंने एक दिन में आठ आयु-वर्ग रिकॉर्ड बनाकर इतिहास रच दिया और वे 100 वर्ष की उम्र में मैराथन पूरी करने वाले पहले व्यक्ति बने।

उनके कई रिकॉर्ड आधिकारिक तौर पर दर्ज नहीं हो सके, लेकिन वे दुनिया के सबसे प्रेरणादायक खिलाड़ियों में गिने जाते हैं। ब्रिटिश सिख धावक फौजा सिंह का निधन एक युग की समाप्ति है, लेकिन उनकी प्रेरणा आने वाली पीढ़ियों तक बनी रहेगी।

ब्रिटिश सिख धावक फौजा सिंह का निधन

Sikhs in the City

फौजा सिंह “Sikhs in the City” नाम की एक दौड़ने वाली टीम के सबसे उम्रदराज सदस्य थे। इस टीम में उनके साथ तीन और सिख धावक थे जिनकी उम्र 79, 79 और 80 साल थी। साल 2009 में इस “Golden Oldies” नाम की टीम ने मिलकर एडिनबरा मैराथन रिले में हिस्सा लिया।

Sikhs in the City (SITC) अब एक जानी-मानी दौड़ टीम बन चुकी है जो ईस्ट लंदन में आधारित है। यह टीम दुनियाभर में मैराथन में हिस्सा लेती है, दूसरे धर्मों के लोगों के साथ मिलकर दौड़ आयोजनों में भाग लेती है और फौजा सिंह से जुड़ी चैरिटी के लिए धन जुटाती है।

दोषी ड्राइवर गिरफ्तार

ब्रिटिश सिख धावक फौजा सिंह का निधन के मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए एक एनआरआई युवक को गिरफ्तार किया है। आरोपी की पहचान 26 वर्षीय अमृतपाल सिंह ढिल्लों, निवासी कनाडा, के रूप में हुई है। सोमवार को हुए इस हिट एंड रन हादसे में वह सफेद टोयोटा फॉर्च्यूनर (PB 20C 7100) चला रहा था।

घटना के बाद आरोपी मौके से फरार हो गया था। पुलिस ने घटनास्थल के सीसीटीवी कैमरों की मदद से वाहन और ड्राइवर की पहचान की और तत्परता दिखाते हुए आरोपी को हिरासत में ले लिया। फिलहाल अमृतपाल सिंह के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

अमर रहेगा आपका योगदान

ब्रिटिश सिख धावक फौजा सिंह का निधन एक ऐसी प्रेरणाशक्ति की विदाई है, जिसने पूरी दुनिया को यह सिखाया कि उम्र सिर्फ एक संख्या है। उनके जीवन ने लाखों लोगों को आगे बढ़ने, सपने देखने और कभी हार न मानने की प्रेरणा दी।
भारतीय मूल के इस महान धावक की कमी हमेशा महसूस की जाएगी। उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के दिलों में जीवित रहेगी।

अस्वीकरण: यह लेख इंटरनेट और विभिन्न साइटों पर आधारित है। इसमें त्रुटियां हो सकती हैं। इस लेख का उद्देश्य केवल जानकारी प्रदान करना है।

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