Anil Ambani, जो कभी भारत के शीर्ष उद्योगपतियों में गिने जाते थे, अब एक बड़े वित्तीय घोटाले में घिरते नज़र आ रहे हैं। स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) ने उनकी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशन को फ्रॉड अकाउंट घोषित कर दिया है, जिससे कानूनी और वित्तीय संकट गहराता जा रहा है।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में खुलासा हुआ है कि लगभग ₹17,000 करोड़ की राशि अन्य कंपनियों में ट्रांसफर की गई, जबकि ₹2,000 करोड़ के बैंक लोन का दुरुपयोग हुआ। इस पूरे प्रकरण ने न सिर्फ बैंकिंग प्रणाली को भारी नुकसान पहुंचाया है, बल्कि आम ग्राहकों का भरोसा भी गंभीर रूप से हिला दिया है।
क्या है Anil Ambani का मामला?
यह मामला रिलायंस कम्युनिकेशंस से जुड़े एक बड़े बैंक फ्रॉड के इर्द-गिर्द घूमता है, जिसमें स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) को लगभग ₹2,929 करोड़ का नुकसान हुआ है। SBI ने कंपनी और अनिल अंबानी पर वित्तीय आंकड़ों में हेरफेर कर भारी-भरकम क्रेडिट सुविधाएँ हासिल करने का आरोप लगाया है। 13 जून 2025 को, RBI के दिशा-निर्देशों के तहत SBI ने इस खाते को फ्रॉड घोषित कर दिया।
जांच में सामने आया है कि लोन की राशि जटिल इंटर-कंपनी लेनदेन, शेल कंपनियों और फर्जी डेब्टर्स के जरिए डायवर्ट की गई। इस मामले में क्रिमिनल कॉन्सपिरेसी, चीटिंग और ब्रिच ऑफ ट्रस्ट जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। ED ने लगभग ₹17,000 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग ट्रेल का खुलासा किया है, जो रिलायंस ADA ग्रुप से जुड़ी कई कंपनियों से संबंधित है।
जांच अधिकारियों की भूमिका
इस मामले की जांच में कई एजेंसियाँ सक्रिय हैं, जिनमें मुख्य रूप से CBI और ED शामिल हैं, जबकि बैंक फ्रॉड के खिलाफ आपराधिक जांच का नेतृत्व स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) कर रहा है। आरबीआई ने वित्तीय रिकॉर्ड की तलाश में Anil Ambani के आवास और रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) के दफ्तरों पर कई छापे मारे।
वहीं, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जांच में लगभग ₹17,000 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग का खुलासा किया है, जिसमें शेल कंपनियों के जरिए धन का डायवर्जन और यस बैंक जैसे बैंकों से मिले लोन में गंभीर अनियमितताएँ पाई गईं। दूसरी ओर, SBI ने आरबीआई के दिशा-निर्देशों के तहत RCOM और अनिल अंबानी के खाते को फ्रॉड घोषित करने के बाद ही यह मूल शिकायत दर्ज की थी।
रिलायंस समूह की प्रतिक्रिया
ईडी और सीबीआई की जांच के बाद रिलायंस ग्रुप की कंपनियों, जैसे रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर ने स्पष्ट बयान जारी किया कि इस जांच का उनके आर्थिक प्रभाव, व्यावसायिक संचालन और शेयर बाजार के प्रदर्शन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। कंपनियों ने यह भी स्पष्ट किया कि यह मामला लगभग 10 साल पुराना है, जिसे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा दर्ज किया गया था। उस समय Anil Ambani केवल जनरल डायरेक्टर के पद पर थे और कंपनी के दैनिक संचालन से उनका कोई सीधा संबंध नहीं था। कंपनियों ने दर्ज की गई एफआईआर को निराधार बताया है और अदालत में इसे चुनौती देते हुए न्याय प्रक्रिया पर पूरा भरोसा जताया है।
कानूनी और चुनौतीपूर्ण लड़ाई
CBI Raids Premises Linked To Anil Ambani In Rs 2,000 Crore Bank Fraud Case: Sources https://t.co/g3UpmdigOo@anushkagarg2000 pic.twitter.com/2x1sCLRgUD
— NDTV (@ndtv) August 23, 2025
रिलायंस ग्रुप, विशेष रूप से रिलायंस कम्युनिकेशंस और स्वयं Anil Ambani, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा दर्ज किए गए ₹2,929 करोड़ के बैंक धोखाधड़ी मामले से जुड़ी कानूनी चुनौतियों का सक्रिय रूप से सामना कर रहे हैं। अनिल अंबानी ने सभी आरोपों से इंकार करते हुए कहा है कि यह मामला लगभग 10 साल पुराना है, जब वे केवल एक गैर-कार्यकारी निदेशक थे और कंपनी के दैनिक संचालन में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। कंपनी का यह भी तर्क है कि एसबीआई पहले ही पाँच अन्य गैर-कार्यकारी निदेशकों के खिलाफ कार्यवाही वापस ले चुकी है, लेकिन Anil Ambani को चुनिंदा रूप से निशाना बनाया जा रहा है।
यह मामला फिलहाल नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) और सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इसी बीच, रिलायंस कम्युनिकेशंस दिवाला और दिवालियापन संहिता (IBC) के तहत कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया से गुजर रही है।
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